- Anuradha Agarwal
मेरे सपने
आंखें बन्द कर के मैंने देखे थे कुछ सुनहेरे सपने,
जो थे बस मेरे ही अपने,
पूरा करने उनको मै चल पड़ी,
पता नही रास्ते में कब किससे कैसे लड़ी,
कभि हिम्मत टूटी,
कभि राहे रूठी,
पर मै फिर भी चली।
एक बार लगा की अब सब खत्म।
वापस ले लू मै अपने कदम।।
पर फिर बचपन की वह बात
जिसको सोच कर सोई नहीं थी मै कई रात -
बड़ी होकर मै यह बनूंगी।
सारी दुनिया मै अपना नाम करूंगी।
याद आई,
साथ अपने नया सवेरा लाई।
फिर से वह सपने वापस आए,
संग अपने कई नए रंग लाए।
अब मैंने ना मुड़ के पीछे देखा,
मिटा दी सारी मन की खीची हुई रेखा।
पूरा करने फिर से उनको चल पड़ी,
इस बार जीती मै क्योंकि खुद से ही लड़ी,
जो रोक रही थी मुझको धुंड ली वो कड़ी,
अब मै फिर एक नए जीवन मै उड़ने को चली।
- अनुराधा अग्रवाल
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